गाय से हो सकती हैं देश को 2 लाख करोड़ की आय

गाय से हो सकती हैं देश को 2 लाख करोड़ की आय (विडियो)  
भारत की आर्थिक समस्या का समाधान करेंगे हम और जानेंगे ऐसी रोचक बातें जो आपको स्कूल कॉलेज की किताबों में नहीं पढाई जाती |

 

debt_1815601fहमारे भारत देश के ऊपर प्रति वर्ष विदेशों से कर्जा बढ़ता ही रहता है, हम पुराने कर्जे को चुकाने के लिए भी नया कर्जा लेते रहते हैं | जिस तरह से यह सब चल रहा है, ऐसे ही चलता रहा तो वो अच्छे दिन कभी नहीं आने वाले जिनका वादा मोदी जी ने किया है हम सबसे |
इन सब के मुख्य कारण हैं:-
भारत का अत्यधिक आयात बिल (तेल उत्पादों का)

भारत के रूपये की निरंतर गिरावट

भारत के नेताओ द्वारा भारत की लूट (भ्रस्टाचार)

भारत की अपनाई गयी अंग्रेजी टैक्स व्यवस्था

भारत की अपनाई गयी अंग्रेजी न्याय व्यवस्था (जिसमे न्याय नही फैसले होते हैं)

भारत की अपनाई गयी अंग्रेजी कानून व् संसद व्यवस्था

और भी अन्य कई कारण हैं..
हम अगर सिर्फ पहले कारण की तरफ ध्यान दें तो भी हमारा देश फिर से समृद्ध हो सकता है| ऐसा नहीं है की हमारे पास विकल्प नहीं है, बल्कि इसका भी मुख्य कारण भ्रस्ताचार व् धर्म है | भारत का आयात बिल पूरी तरह समाप्त करके हम निर्यातक देश बन सकते हैं, इतनी क्षमता है हमारे देश में, उसकी संस्कृति में, उसके इतिहास की वैज्ञानिकता में|
आइये शुरू करते हैं…

  
आयात बिल में क्रूड आयल का सबसे बड़ा हिस्सा है|
वर्ष 2014 – 2015 में 7.6 लाख करोड़ रूपये का कच्चा तेल व अन्य तेल उत्पाद भारत ने आयात किए (RTI से प्राप्त आंकड़े, बजट भी देख सकते हैं इन आंकड़ो की पुष्टि करने के लिए) |

कितने रूपये होते हैं ये 7.6 लाख करोड़ ?? भारत के अगर सारे प्रकार के टैक्स जोड़ लिए जाएँ तब कहीं जाकर इतनी बड़ी रकम बनती है| यानि अगर हम इस आयत के बिल को समाप्त कर दें तो भारत के सभी टैक्स खत्म किये जा सकते हैं |

क्रूड आयल से वैसे तो बहुत से उत्पाद बनते हैं लेकिन हमारी चर्चा के लिए मुख्यतः 4 उत्पाद बनते हैं :–

रसोई गैस में उपयोग होने वाला (एलपीजी, केरोसिन)

पेट्रोल

डीजल

क्रूड आयल बंद कर दें तो यह सब की जरूरत कैसे पूर्ण होगी ?
भारत में रसोई गैस के लिए LPG, KEROSENE, PNG, FIREWOOD, COW DUNG CAKES, Crop residues उपयोग होता है |

वर्ष 2014- 2015 में :–
एलपीजी की कुल खपत हुई 1.8 करोड़ MT (3320 करोड़ लीटर), जिसका मूल्य 1.5 लाख करोड़ रूपये था |

केरोसिन की कुल खपत हुई 0.71 करोड़ MT (892 करोड़ लीटर), जिसका मूल्य 13377 करोड़ रूपये था |

हम अगर देश में मीथेन गैस के उत्पादन की तरफ वापस लौटें तो हम ये 1.66 लाख करोड़ बचा सकते हैं और साथ ही बहुत से अन्य लाभ भी होंगे (आर्थिक से अलग लाभ सबसे अंत में)
भारत की जनसंख्या है 125 करोड़, जिसमे लगभग 16 करोड़ परिवार हैं (हर परिवार में 8 सदस्य की औसत से) अभी भारत की 40 प्रतिशत जनता ही एलपीजी का उपयोग कर पाती है |biogasstory_v2
यह जरूरत पूरी होगी गाय के गोबर की गैस से |

  
120 गाय एक दिन में 10 cylinder (14.2 किलो प्रति cylinder) के जितनी गैस उत्पादन करती है (गोबर के माध्यम से)

तो 1 वर्ष में 3650 cylinder (51830 किलो) 120 गाय से प्राप्त होंगे | (प्रति गाय प्रति वर्ष 431 किलो गैस)

1 परिवार के लिए औसतन प्रति वर्ष 142 किलो (10 cylinder) काफी होते हैं.

भारत की जरूरत है (16 करोड़ परिवार 142 किलो गैस प्रति परिवार प्रति वर्ष) यानि 2272 करोड़ किलो गैस जिसके लिए जरूरत होगी 5-6 करोड़ गाय की

भारत में अभी 15 करोड़ गौवंश है जिसमे 12 करोड़ गाय हैं| यानि भारत की रसोई गैस की जरूरत से दुगनी तिगनी गाय जिनका अगर कत्ल प्रतिबंधित कर दिया जाए तो मात्र 3 साल में यह संख्या 24 से 36 करोड़ तक पहुंच जाएगी |
आज की मौजूद जरूरत के लिए पर्याप्त संख्या में गाय हैं, जिनसे भारत का बहुमूल्य धन लगभग 2 लाख करोड़ रुपया बचाया जा सकता है| यह तो सिर्फ गोबर से निकलने वाली गैस से रसोई गैस में बचत हुई |
इसी गैस के माध्यम से भारत पूरी तरह अपने पेट्रोल की जरूरत को खत्म कर सकता है यानि लगभग 2 लाख करोड़ रूपये की बचत | इसको व् गोबर की खाद व् गोमूत्र के लाभ अगली श्रृंखला में बताता हूँ |
भारत के गौ वंश के उपयोग से :–
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भारत के 2 लाख करोड़ रूपये की बचत

गैस प्लांट बनाने के लिए 7 लाख गाँवो में 5 लाख रूपये की 1 बार की लागत (कम से कम 20 साल में), 35000 करोड़ रूपये लगेंगे जो की पहले ही वर्ष में अपना व्यय पूर्ण कर लेंगे. यानि 20 वर्ष में कुल बचत होगी 39 लाख करोड़ रूपये जो की भारत के विदेशी कर्ज (33 लाख करोड़ रूपये) को पूर्णतः खत्म करने में सक्षम है | वो भी सिर्फ गैस के माध्यम से |

केरोसिन, जंगल की लकड़ी, गोबर के कंडे, फसल की बची हुई भुस यह सब जलने से बचेगा तो पर्यावरण में सुधार होगा | GLOBAL WARMING के संकट से विश्व बचेगा | सही रूप में विकास होगा | ग्लोबल वार्मिंग में सबसे मुख्य कारण है क्रूड आयल से उत्पादन व् उत्पादित वस्तुओ जैसे पेट्रोल डीजल से निकलने वाली जहरीली गैस | साथ ही मीथेन गैस जो उपयोग में हैं | मीथेन गैस पर्यावरण में अगर उपयोग न ली जाये तो यह पर्यावरण को गर्म करके नुक्सान पहुंचती है. विश्व की 25% ग्लोबल वार्मिंग का कारण है मीथेन गैस. लेकिन अगर इसी मीथेन गैस को उपयोग किया जाये जलाने में तो न सिर्फ उर्जा की जरूरत पूरी होगी बल्कि ग्लोबल वार्मिंग में 2 गुना फायदा होगा. विश्व को मीथेन गैस की तरफ लौटना ही होगा, अन्यथा विश्व नहीं बचेगा..

भारतीय संस्कृति में शायद इसलिए ही गाय को माँ का स्थान दिया गया क्यूंकि उनसे ही यह विश्व प्रदुषण मुक्त (हवा पानी भोजन ) होकर जी सकता है .. MAAAAAAAAAAAAAAAA

 गाय से हो सकती हैं देश को 2 लाख करोड़ की आय (विडियो) गाय से हो सकती हैं देश को 2 लाख करोड़ की आय (विडियो)

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गाय से हो सकती हैं देश को 2 लाख करोड़ की आय (विडियो)

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भारत की आर्थिक समस्या का समाधान करेंगे हम और जानेंगे ऐसी रोचक बातें जो आपको स्कूल कॉलेज की किताबों में नहीं पढाई जाती |

 

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इन सब के मुख्य कारण हैं:-
भारत का अत्यधिक आयात बिल (तेल उत्पादों का)

भारत के रूपये की निरंतर गिरावट

भारत के नेताओ द्वारा भारत की लूट (भ्रस्टाचार)

भारत की अपनाई गयी अंग्रेजी टैक्स व्यवस्था

भारत की अपनाई गयी अंग्रेजी न्याय व्यवस्था (जिसमे न्याय नही फैसले होते हैं)

भारत की अपनाई गयी अंग्रेजी कानून व् संसद व्यवस्था

और भी अन्य कई कारण हैं..
हम अगर सिर्फ पहले कारण की तरफ ध्यान दें तो भी हमारा देश फिर से समृद्ध हो सकता है| ऐसा नहीं है की हमारे पास विकल्प नहीं है, बल्कि इसका भी मुख्य कारण भ्रस्ताचार व् धर्म है | भारत का आयात बिल पूरी तरह समाप्त करके हम निर्यातक देश बन सकते हैं, इतनी क्षमता है हमारे देश में, उसकी संस्कृति में, उसके इतिहास की वैज्ञानिकता में|
आइये शुरू करते हैं…
आयात बिल में क्रूड आयल का सबसे बड़ा हिस्सा है|
वर्ष 2014 – 2015 में 7.6 लाख करोड़ रूपये का कच्चा तेल व अन्य तेल उत्पाद भारत ने आयात किए (RTI से प्राप्त आंकड़े, बजट भी देख सकते हैं इन आंकड़ो की पुष्टि करने के लिए) |

कितने रूपये होते हैं ये 7.6 लाख करोड़ ?? भारत के अगर सारे प्रकार के टैक्स जोड़ लिए जाएँ तब कहीं जाकर इतनी बड़ी रकम बनती है| यानि अगर हम इस आयत के बिल को समाप्त कर दें तो भारत के सभी टैक्स खत्म किये जा सकते हैं |

क्रूड आयल से वैसे तो बहुत से उत्पाद बनते हैं लेकिन हमारी चर्चा के लिए मुख्यतः 4 उत्पाद बनते हैं :–

रसोई गैस में उपयोग होने वाला (एलपीजी, केरोसिन)

पेट्रोल

डीजल

क्रूड आयल बंद कर दें तो यह सब की जरूरत कैसे पूर्ण होगी ?
भारत में रसोई गैस के लिए LPG, KEROSENE, PNG, FIREWOOD, COW DUNG CAKES, Crop residues उपयोग होता है |

वर्ष 2014- 2015 में :–
एलपीजी की कुल खपत हुई 1.8 करोड़ MT (3320 करोड़ लीटर), जिसका मूल्य 1.5 लाख करोड़ रूपये था |

केरोसिन की कुल खपत हुई 0.71 करोड़ MT (892 करोड़ लीटर), जिसका मूल्य 13377 करोड़ रूपये था |

हम अगर देश में मीथेन गैस के उत्पादन की तरफ वापस लौटें तो हम ये 1.66 लाख करोड़ बचा सकते हैं और साथ ही बहुत से अन्य लाभ भी होंगे (आर्थिक से अलग लाभ सबसे अंत में)
भारत की जनसंख्या है 125 करोड़, जिसमे लगभग 16 करोड़ परिवार हैं (हर परिवार में 8 सदस्य की औसत से) अभी भारत की 40 प्रतिशत जनता ही एलपीजी का उपयोग कर पाती है |biogasstory_v2
यह जरूरत पूरी होगी गाय के गोबर की गैस से |
120 गाय एक दिन में 10 cylinder (14.2 किलो प्रति cylinder) के जितनी गैस उत्पादन करती है (गोबर के माध्यम से)

तो 1 वर्ष में 3650 cylinder (51830 किलो) 120 गाय से प्राप्त होंगे | (प्रति गाय प्रति वर्ष 431 किलो गैस)

1 परिवार के लिए औसतन प्रति वर्ष 142 किलो (10 cylinder) काफी होते हैं.

भारत की जरूरत है (16 करोड़ परिवार 142 किलो गैस प्रति परिवार प्रति वर्ष) यानि 2272 करोड़ किलो गैस जिसके लिए जरूरत होगी 5-6 करोड़ गाय की

भारत में अभी 15 करोड़ गौवंश है जिसमे 12 करोड़ गाय हैं| यानि भारत की रसोई गैस की जरूरत से दुगनी तिगनी गाय जिनका अगर कत्ल प्रतिबंधित कर दिया जाए तो मात्र 3 साल में यह संख्या 24 से 36 करोड़ तक पहुंच जाएगी |
आज की मौजूद जरूरत के लिए पर्याप्त संख्या में गाय हैं, जिनसे भारत का बहुमूल्य धन लगभग 2 लाख करोड़ रुपया बचाया जा सकता है| यह तो सिर्फ गोबर से निकलने वाली गैस से रसोई गैस में बचत हुई |
इसी गैस के माध्यम से भारत पूरी तरह अपने पेट्रोल की जरूरत को खत्म कर सकता है यानि लगभग 2 लाख करोड़ रूपये की बचत | इसको व् गोबर की खाद व् गोमूत्र के लाभ अगली श्रृंखला में बताता हूँ |
भारत के गौ वंश के उपयोग से :–
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भारत के 2 लाख करोड़ रूपये की बचत

गैस प्लांट बनाने के लिए 7 लाख गाँवो में 5 लाख रूपये की 1 बार की लागत (कम से कम 20 साल में), 35000 करोड़ रूपये लगेंगे जो की पहले ही वर्ष में अपना व्यय पूर्ण कर लेंगे. यानि 20 वर्ष में कुल बचत होगी 39 लाख करोड़ रूपये जो की भारत के विदेशी कर्ज (33 लाख करोड़ रूपये) को पूर्णतः खत्म करने में सक्षम है | वो भी सिर्फ गैस के माध्यम से |

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भारतीय संस्कृति में शायद इसलिए ही गाय को माँ का स्थान दिया गया क्यूंकि उनसे ही यह विश्व प्रदुषण मुक्त (हवा पानी भोजन ) होकर जी सकता है .. MAAAAAAAAAAAAAAAA

 गाय से हो सकती हैं देश को 2 लाख करोड़ की आय (विडियो) गाय से हो सकती हैं देश को 2 लाख करोड़ की आय (विडियो)

गुरु मंत्र जप से २७ नक्षत्रों की अनुकूलता — श्री सुरेशानंद जी की अमृतवाणी सत्संग के मुख्य अंश:

गुरु मंत्र जप से २७ नक्षत्रों की अनुकूलता — श्री सुरेशानंद जी की अमृतवाणी सत्संग के मुख्य अंश:

माला में १०८ मनके ही क्यों ?

* जप करने वाले व्यक्ति का परम हित हो |

* २७ नक्षत्र होते हैं और उनके ४ चरण तो २७ का ४ गुना १०८ होता है |

* दुनिया में सबके नाम १०८ अक्षरों के अंतर्गत ही आते हैं |

* २७ नक्षत्र और उनके अधिष्ठाता २७ देवता, १२ राशियाँ और १२ राशियों के स्वामी और ९ ग्रह, और ग्रहों के स्वामी ये सब १०८ मनके की माला लेकर जपने वालो के अनुकूल होते हैं |

* जिस मनुष्य को जप प्रिय है वो भगवान को, गुरु को प्रिय हो जाता है |

* पहला अश्विनी नक्षत्र के स्वामी अश्विनी कुमार उनपर खूब प्रसन्न होते हैं जो गुरुमंत्र का जप करते हैं | 

* तुलसीदास जी ने कहा कि प्रह्लाद की तरह जप करो |

* दूसरा नक्षत्र है भरणी और उसके स्वामी हैं यमराज, जापक की अकाल मृत्यु से बचाव होता है |

* तीसरा नक्षत्र कृतिका उनके स्वामी अग्नि देव उनपर खुश होते हैं जो अपने को शुद्ध मैं में विलीन करता है |

* चौथा है रोहिणी नक्षत्र उसके स्वामी हैं ब्रह्माजी और वे जापक को अपने कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है |

* पाँचवा है मृगशिरा जिसके स्वामी हैं चन्द्रमा जो सौभाग्य दिलाते हैं | यदि सुहागने दृढ़ता से जप करें तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है |

* छठा नक्षत्र है आर्द्रा जिसके स्वामी हैं शिवजी, वे जापक को सर्वत्र सुखी करते हैं क्योंकि वो सारे जगत को शिवमय देखता है |

* सातवाँ नक्षत्र है पुनर्वसु देव और उनके स्वामी हैं अदिति जिनकी कृपा से राक्षसों का प्रभाव कम होकर देवतओं का प्रभाव बढ़ा |

* आठवाँ है पुष्य नक्षत्र उसके स्वामी बृहस्पति हैं, इस योग में जप करने से विशेष लाभ होता है |

* नवां है आश्लेष्ण नक्षत्र इसके स्वामी सर्प देवता हैं, जप करने वाले के हृदय से द्वेष का नाश करते हैं |

* दसवाँ है मघा नक्षत्र स्वामी हैं पितृ देवता और जापक के कुल में उत्तम सन्तान की प्राप्ति और पितृ दोष दूर करते हैं | संतति और संपत्ति का वरदान देते है |

* ग्यारवाँ नक्षत्र है पूर्व फाल्गुनी उनके देवता हैं भग देवता जो कुशलता और मंगल देने वाले हैं | – See more at: http://www.santshriasharamjiashram.org/guru-mantra-jap-se-27-nakshatron-ki-anukulta-guru-mantra-jap-mahima-2/#sthash.oXGrMt5j.dpuf

सामान्य ज्ञान – तथ्यभारत को लूटने वाले क्रूर, बर्बर विदेशी शासक – तथ्य।

सामान्य ज्ञान – तथ्यभारत को लूटने वाले क्रूर, बर्बर विदेशी शासक – तथ्य।

BY SHIVAM SHARMA BHARTIYA · NOVEMBER 12, 2015
हमारे देश भारत को कभी सोने की चिडिया कहा जाता था। कुछ दार्शनिक और विदेशी इतिहासकारों ने भारत में कभी गरीबी नहीं देखी थी। हम सब जानते है की मध्य युग में भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। इसलिए हमारा देश शुरू से ही विदेशी आक्रांताओं के निशाने पर रहा। सन् 187 ईपू में मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय इतिहास की राजनीतिक एकता बिखर गई।
इस खंडित एकता के चलते देश के उत्तर-पश्चिमी मार्गों से कई विदेशी आक्रांताओं ने आकर अनेक भागों में एक ओर जहां लूटपाट की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए। इन आक्रांताओं और लुटेरों में से कुछ तो महाक्रूर और बर्बर हत्यारे थे जिन्होंने भारतीय जनता को बेरहमी से कुचला। आओ जानते हैं ऐसे कुछ बर्बर लुटेरों के बारे में।
मुहम्मद बिन कासिम (Muhammad Bin Qasim)

7वीं सदी के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान भारत के हाथ से जाता रहा। भारत में इस्लामिक शासन का विस्तार 7वीं शताब्दी के अंत में मोहम्मद बिन कासिम के सिन्ध पर आक्रमण और बाद के मुस्लिम शासकों द्वारा हुआ। लगभग 712 में इराकी शासक अल हज्जाज के भतीजे एवं दामाद मुहम्मद बिन कासिम ने 17 वर्ष की अवस्था में सिन्ध और बूच पर के अभियान का सफल नेतृत्व किया।
इस्लामिक खलीफाओं ने सिन्ध फतह के लिए कई अभियान चलाए। 10 हजार सैनिकों का एक दल ऊंट-घोड़ों के साथ सिन्ध पर आक्रमण करने के लिए भेजा गया। सिन्ध पर ईस्वी सन् 638 से 711 ई. तक के 74 वर्षों के काल में 9 खलीफाओं ने 15 बार आक्रमण किया। 15वें आक्रमण का नेतृत्व मोहम्मद बिन कासिम ने किया।
मुहम्मद बिन कासिम अत्यंत ही क्रूर यौद्धा था। सिंध के दीवान गुन्दुमल की बेटी ने सर कटवाना स्वीकर किया, पर मीर कासिम की पत्नी बनना नहीं। इसी तरह वहां के राजा दाहिर (679ईस्वी में राजा बने)और उनकी पत्नियों और पुत्रियों ने भी अपनी मातृभूमि और अस्मिता की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी। सिंध देश के सभी राजाओं की कहानियां बहुत ही मार्मिक और दुखदायी हैं। आज सिंध देश पाकिस्तान का एक प्रांत बनकर रह गया है। राजा दाहिर अकेले ही अरब और ईरान के दरिंदों से लड़ते रहे। उनका साथ किसी ने नहीं दिया बल्कि कुछ लोगों ने उनके साथ गद्दारी की।
महमूद गज़नवी (Mahmud Ghaznavi)

अरबों के बाद तुर्कों ने भारत पर आक्रमण किया। अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार ने गजनी में तुर्क साम्राज्य की स्थापना की। 977 ई. में अलप्तगीन के दामाद सुबुक्तगीन ने गजनी पर शासन किया। सुबुक्तगीन ने मरने से पहले कई लड़ाइयां लड़ते हुए अपने राज्य की सीमाएं अफगानिस्तान, खुरासान, बल्ख एवं पश्चिमोत्तर भारत तक फैला ली थीं। सुबुक्तगीन की मुत्यु के बाद उसका पुत्र महमूद गजनवी गजनी की गद्दी पर बैठा। महमूद गजनवी ने बगदाद के खलीफा के आदेशानुसार भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करना शुरू किए।
उसने भारत पर 1001 से 1026 ई. के बीच 17 बार आक्रमण किए। उसने प्रत्येक वर्ष भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करने की प्रतिज्ञा की। अपने 13वें अभियान में गजनवी ने बुंदेलखंड, किरात तथा लोहकोट आदि को जीत लिया। 14वां आक्रमण ग्वालियर तथा कालिंजर पर किया। अपने 15वें आक्रमण में उसने लोदोर्ग (जैसलमेर), चिकलोदर (गुजरात) तथा अन्हिलवाड़ (गुजरात) पर आक्रमण कर वहां खूब लूटपाट की।
माना जाता है कि महमूद गजनवी ने अपना 16वां आक्रमण (1025 ई.) सोमनाथ पर किया। उसने वहां के प्रसिद्ध मंदिरों को तोड़ा और वहां अपार धन प्राप्त किया। इस मंदिर को लूटते समय महमूद ने लगभग 50,000 ब्राह्मणों एवं हिन्दुओं का कत्ल कर दिया। इसकी चर्चा पूरे देश में आग की तरह फैल गई। 17वां आक्रमण उसने सिन्ध और मुल्तान के तटवर्ती क्षेत्रों के जाटों के पर किया। इसमें जाट पराजित हुए।
मुहम्मद गोरी (Muhammad Ghori)

मुहम्मद बिन कासिम के बाद महमूद गजनवी और उसके बाद मुहम्मद गोरी ने भारत पर आक्रमण कर अंधाधुंध कत्लेआम और लूटपाट मचाई। इसका पूरा नाम शिहाबुद्दीन उर्फ मुईजुद्दीन मुहम्मद गोरी था। भारत में तुर्क साम्राज्य की स्थापना करने का श्रेय मुहम्मद गोरी को ही जाता है। गोरी गजनी और हेरात के मध्य स्थित छोटे से पहाड़ी प्रदेश गोर का शासक था।

उसने पहला आक्रमण 1175 ईस्वी में मुल्तान पर किया, दूसरा आक्रमण 1178 ईस्वी में गुजरात पर किया। इसके बाद 1179-86 ईस्वी के बीच उसने पंजाब पर फतह हासिल की। इसके बाद उसने 1179 ईस्वी में पेशावर तथा 1185 ईस्वी में स्यालकोट अपने कब्जे में ले लिया। 1191 ईस्वी में उसका युद्ध पृथ्वीराज चौहान से हुआ। इस युद्ध में मुहम्मद गोरी को बुरी तरह पराजित होना पड़ा। इस युद्ध में गौरी को बंधक बना लिया गया, लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने उसे छोड़ दिया। इसे तराइन का प्रथम युद्ध कहा जाता था।
इसके बाद मुहम्मद गोरी ने अधिक ताकत के साथ पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण कर दिया। तराइन का यह द्वितीय युद्ध 1192 ईस्वी में हुआ था। अबकी बार इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान हार गए और उनको बंधक बना लिया गया। ऐसा माना जाता है कि बाद में उन्हें गजनी लेजाकर मार दिया गया। गोरी भारत में गुलामवंश का शासन स्थापित करके पुन: अपने राज्य लौट गया।
चंगेज खान (Changez khan)

(मंगोलियाई नाम चिंगिस खान, सन् 1162 से 18 अगस्त, 1227)। चंगेज खान ने मुस्लिम साम्राज्य को लगभग नष्ट ही कर दिया था। वह एक मंगोल शासक था। वह बौद्ध धर्म का अनुयायी था। हलाकू खान भी बौद्ध था। चंगेज अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए कुख्यात रहा। भारत सहित संपूर्ण रशिया, एशिया और अरब देश चंगेज खान के नाम से ही कांपते थे।

चंगेज खान का जन्म 1162 के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका वास्तविक या प्रारंभिक नाम तेमुजिन (या तेमूचिन) था। उसके पिता का नाम येसूजेई था जो कियात कबीले का मुखिया था।
चंगेज खान ने अपने अभियान चलाकर ईरान, गजनी सहित पश्‍चिम भारत के काबुल, कन्धार, पेशावर सहित उसने कश्मीर पर भी अधिकार कर लिया। इस समय चंगेज खान ने सिंधु नदी को पार कर उत्तरी भारत और असम के रास्ते मंगोलिया वापस लौटने की सोची। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया। इस तरह उत्तर भारत एक संभावित लूटपाट और वीभत्स उत्पात से बच गया।
एक नए अनुसंधान के अनुसार इस क्रूर मंगोल योद्धा ने अपने हमलों में इस कदर लूटपाट की और खूनखराबा किया कि एशिया में चीन, अफगानिस्तान सहित उजबेकिस्तान, तिब्बत और बर्मा आदि देशों की बहुत बड़ी आबादी का सफाया हो गया था। मुसलमानों के लिए तो चंगेज खान और हलाकू खान अल्लाह का कहर था।
तैमूर (Timur Lang)

तैमूल लंग भी चंगेज खान जैसा शासक बनना चाहता था। सन् 1369 ईस्व में समरकंद का शासक बना। उसके बाद उसने अपनी विजय और क्रूरता की यात्रा शुरू की। मध्य एशिया के मंगोल लोग इस बीच में मुसलमान हो चुके थे और तैमूर खुद भी मुसलमान था।

क्रूरता के मामले में वह चंगेज खान की तरह ही था। कहते हैं, एक जगह उसने दो हजार जिन्दा आदमियों की एक मीनार बनवाई और उन्हें ईंट और गारे में चुनवा दिया।
जब तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया तब उत्तर भारत में तुगलक वंश का राज था। 1399 में तैमूर लंग द्वारा दिल्ली पर आक्रमण के साथ ही तुगलक साम्राज्य का अंत माना जाना चाहिए। तैमूर मंगोलों की फौज लेकर आया तो उसका कोई कड़ा मुकाबला नहीं हुआ और वह कत्लेआम करता हुआ मजे के साथ आगे बढ़ता गया।
तैमूर के आक्रमण के समय वक्त हिन्दू और मुसलमान दोनों ने मिलकर जौहर की राजपूती रस्म अदा की थी, यानी युद्ध में लड़ते-लड़ते मर जाने के लिए बाहर निकल पड़े थे। दिल्ली में वह 15 दिन रहा और उसने इस बड़े शहर को कसाईखाना बना दिया। बाद में कश्मीर को लूटता हुआ वह समरकंद वापस लौट गया। तैमूर के जाने के बाद दिल्ली मुर्दों का शहर रह गया था।
बाबर (Babar)

मुगलवंश का संस्थापक बाबर एक लूटेरा था। उसने उत्तर भारत में कई लूट को अंजाम दिया। मध्य एशिया के समरकंद राज्य की एक बहुत छोटी सी जागीर फरगना (वर्तमान खोकन्द) में 1483 ई. में बाबर का जन्म हुआ था। उसका पिता उमर शेख मिर्जा, तैमूरशाह तथा माता कुनलुक निगार खानम मंगोलों की वंशज थी।

बाबर ने चगताई तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा ‘तुजुक ए बाबरी’ लिखी इसे इतिहास में बाबरनामा भी कहा जाता है। बाबर का टकराव दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी से हुआ। बाबर के जीवन का सबसे बड़ा टकराव मेवाड़ के राणा सांगा के साथ था। बाबरनामा में इसका विस्तृत वर्णन है। संघर्ष में 1927 ई. में खन्वाह के युद्ध में, अन्त में उसे सफलता मिली।
बाबर ने अपने विजय पत्र में अपने को मूर्तियों की नींव का खण्डन करने वाला बताया। इस भयंकर संघर्ष से बाबर को गाजी की उपाधि प्राप्त की। गाजी वह जो काफिरों का कत्ल करे। बाबर ने अमानुषिक ढंग से तथा क्रूरतापूर्वक हिन्दुओं का नरसंहार ही नहीं किया, बल्कि अनेक हिन्दू मंदिरों को भी नष्ट किया। बाबर की आज्ञा से मीर बाकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर निर्मित प्रसिद्ध मंदिर को नष्ट कर मस्जिद बनवाई, इसी भांति ग्वालियर के निकट उरवा में अनेक जैन मंदिरों को नष्ट किया। उसने चंदेरी के प्राचित और ऐतिहासिक मंदिरों को भी नष्ट करवा दिया था, जो आज बस खंडहर है।
औरंगजेब (Aurangzeb)

भारत में मुगल शासकों में सबसे क्रूर औरंगजेब था। मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब का जन्म 1618 ईस्वी में हुआ था। उसके पिता शाहजहां और माता का नाम मुमताज था।

बाबर का बेटा नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं दिल्ली के तख्त पर बैठा। हुमायूं के बाद जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर, अकबर के बाद नूरुद्दीन सलीम जहांगीर, जहांगीर के बाद शाहबउद्दीन मुहम्मद शाहजहां, शाहजहां के बाद मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब ने तख्त संभाला।
हिन्दुस्तान के इतिहास के सबसे जालिम शासक जिसने, अपने पिता को कैद किया, अपने सगे भाइयों और भतीजों की बेरहमी से ह्त्या की, गुरु तेग बहादुर का सर कटवाया, गुरु गोविन्द सिंह के बच्चो को जिंदा दीवार में चुनवाया, जिसने सैकड़ों मंदिरों को तुडवाया, जिसने अपनी प्रजा पर वे-इन्तहा जुल्म किए और अपने शासन क्षेत्र में गैर-मुस्लिमों के लिए मुनादी करावा दी थी कि या तो आप इस्लाम कबूल कर लें या फिर मरने के लिए तैयार रहें। औरंगजेब एक तुर्क था। उसके काल में ही उत्तर भारत का तेजी से इस्लामिकरण हुआ। अधिकतर ब्राह्मणों को या तो मुसलमान बनना पड़ा या उन्होंने प्रदेश को छोड़कर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के गांवों में शरण ली।
उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध इतिहासकार राधाकृष्ण बुंदेली अनुसार मुगल शासक औरंगजेब ने अपनी सेना को सन् 1669 में जारी अपने एक हुक्मनामे पर हिंदुओं के सभी मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इस दौरान सोमनाथ मंदिर, वाराणसी का मंदिर, मथुरा का केशव राय मंदिर के अलावा कई हिंदू देवी-देवताओं के प्रसिद्ध मंदिर तोड़ दिए गए थे।
औरंगजेब ने हिन्दू त्योहारों को सार्वजनिक तौर पर मनाने पर प्रतिबन्ध लगाया और उसने हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया. औरंगजेब दारुल हर्ब (काफिरों का देश भारत) को दारुल इस्लाम (इस्लाम का देश) में परिवर्तित करने को अपना महत्त्वपूर्ण लक्ष्य बनाया था। 1669 ई. में औरंगजेब ने बनारस के विश्वनाथ मंदिर एवं मथुरा के केशव राय मदिंर को तुड़वा दिया था।
नादिर शाह (Nadir Shah)

(जन्म 6 अगस्त, 1688 मृत्यु 17 जून, 1747): नादिरशाह का पूरा नाम नादिर कोली बेग था। यह ईरान का शासक था। उसने भारत पर आक्रमण कर कई तरह की लूटपाट और कत्लेआम को अंजाम दिया। दिल्ली की सत्ता पर आसीन उस वक्त के मुगल बादशाह मुहम्मदशाह को हराने के बाद उसने वहां से अपार सम्पत्ति अर्जित की, जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था।
मुगल बादशाह मुहम्मदशाह और नादिरशाह के मध्य करनाल का युद्ध 1739 ई. में लड़ा गया। काबुल पर कब्ज करने के बाद उसने दिल्ली पर आक्रमण किया। करनाल में मुगल राजा मोहम्मद शाह और नादिर की सेना के बीच लड़ाई हुई। इसमें नादिर की सेना मुगलों के मुकाबले छोटी थी पर अपने बारूदी अस्त्रों के कारण फारसी सेना जीत गई।

हरने के बाद दिल्ली के सुल्तान मोहम्मद शाह ने संभवत मार्च 1739 में दिल्ली पहुंचने पर यह अफवाह फैली कि नादिर शाह मारा गया। इससे दिल्ली में भगदड़ मच गई और फारसी सेना का कत्ल शुरू हो गया। नादिर को जब यह पता चला तो उसने इस का बदला लेने के लिए दिल्ली पर आक्रमण कर दिया। उसने दिल्ली में भयानक खूनखराबा किया और एक दिन में कोई हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसके अलावा उसने शाह से भारी धनराशि भी लूट ली। मोहम्मद शाह ने सिंधु नदी के पश्चिम की सारी भूमि भी नादिरशाह को दान में दे दी। हीरे जवाहरात का एक जखीरा भी उसे भेंट किया गया जिसमें कोहिनूर (कूह-ए-नूर), दरियानूर और ताज-ए-मह नामक विख्यात हीरे शामिल थे।
अहमद शाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali)

अहमदशाह अब्दाली को अहमदशाह दुर्रानी भी कहते हैं। सन 1747 में नादिर शाह की मौत के बाद वह अफगानिस्तान का शासक बना। अपने पिता की तरह अब्दाली ने भी भारत पर सन् 1748 से 1758 तक कई बार आक्रमण किए और लूटपाट करके अपार धन संपत्ति को इकट्ठा किया।
सन 1757 में जनवरी के माह में दिल्ली पर किया। उसने अब्दाली से बहुत ही शर्मनाक संधि की, जिसमें एक शर्त दिल्ली को लूटने की अनुमति देना भी था। अहमदशाह एक माह तक दिल्ली में ठहरकर लूटमार और कत्लेआम करता रहा। वहां की लूट में उसे करोड़ों की संपदा हाथ लगी।

दिल्ली लूटने के बाद अब्दाली का लालच बढ़ गया। वहां से उसने आगरा पर आक्रमण किया। आगरा के बाद बल्लभगढ़ पर आक्रमण किया। वल्लभगण में उसने जाटों को हराया और बल्लभगढ़ और उसके आस-पास लूटा और व्यापक जन−संहार किया।

उसके बाद अहमदशाह ने अपने पठान सैनिकों को मथुरा लूटने और हिन्दुओं के सभी पवित्र स्थलों को तोड़ने के साथ ही हिन्दुओं का व्यापक पैमाने पर कत्लेआम करने का आदेश दिया। उसने अपने सिपाहियों से कहा प्रत्येक हिन्दू के एक कटे सिर के बदले इनाम दिया जाएगा। मथुरा के इस जनसंहार के विस्तृत ब्योरा आज भी मथुरा के इतिहास में दर्ज है। अब्दाली द्वारा मथुरा और ब्रज की भीषण लूट बहुत ही क्रूर और बर्बर थी। यह लेख यहां से लिया गया है।।